(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=मार प्यार की थापें / के…) |
छो ("पेड़ से / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 16: | पंक्ति 16: | ||
पराक्रमी यात्री। | पराक्रमी यात्री। | ||
− | + | देश में | |
तड़पती है | तड़पती है | ||
देश की राजनीति | देश की राजनीति | ||
पंक्ति 29: | पंक्ति 29: | ||
'''रचनाकाल: १७-०७-१९७७''' | '''रचनाकाल: १७-०७-१९७७''' | ||
+ | ------------------------------------- | ||
+ | जगजीवन राम के पार्टी परित्याग पर | ||
</poem> | </poem> |
23:47, 17 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
परांगमुख हो गया
पेड़ से टूटकर
पेड़ का पत्ता।
पाताल में
पैठता चला गया
पुरुषार्थी मेघों का
पुरातन
पराक्रमी यात्री।
देश में
तड़पती है
देश की राजनीति
कल्थे खाती--
मरती चली जाती।
जप और जाप से
जिन्दगी जिलाते हैं
काठ के उल्लू;
मरी राजनीति में
असफल घुघुआते हैं
काठ के उल्लू।
रचनाकाल: १७-०७-१९७७
जगजीवन राम के पार्टी परित्याग पर