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"वक़्त तलाशी लेगा / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर
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वह भी चढ़े बुढ़ापे में | वह भी चढ़े बुढ़ापे में | ||
सँभल कर चल । | सँभल कर चल । | ||
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कोई भी सामान न रखना | कोई भी सामान न रखना | ||
जाना-पहचाना | जाना-पहचाना | ||
किसी शत्रु का, किसी मित्र का | किसी शत्रु का, किसी मित्र का | ||
ढंग न अपनाना | ढंग न अपनाना | ||
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अपनी छोटी-सी ज़मीन पर | अपनी छोटी-सी ज़मीन पर | ||
अपनी उगा फसल | अपनी उगा फसल | ||
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ज़हर जवानी में पी कर ही | ज़हर जवानी में पी कर ही | ||
जीती है रचना | जीती है रचना | ||
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जितना है उतना ही रख | जितना है उतना ही रख | ||
गीतों में गंगाजल | गीतों में गंगाजल |
00:54, 25 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
वक़्त तलाशी लेगा
वह भी चढ़े बुढ़ापे में
सँभल कर चल ।
कोई भी सामान न रखना
जाना-पहचाना
किसी शत्रु का, किसी मित्र का
ढंग न अपनाना
अपनी छोटी-सी ज़मीन पर
अपनी उगा फसल
सँभल कर चल ।
ख्वारी हो सफ़ेद बालों की
ऐसा मत करना
ज़हर जवानी में पी कर ही
जीती है रचना
जितना है उतना ही रख
गीतों में गंगाजल
वे जो आएंगे
छानेंगे कपड़े बदल-बदल
सँभल कर चल ।