भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भायला / तन सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तन सिंह |संग्रह= }} Category:मूल राजस्थानी भाषा {{KKCatKavita‎…)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
+
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
<Poem>
 
<Poem>
मत पूछे के ठाठ भायला | पोळी मै खाट भायला ।।
+
मत पूछे के ठाठ भायला पोळी मै खाट भायला ।।
पनघट पायल बाज्या करती ,सुगनु चुड़लो हाथा मै ।
+
पनघट पायल बाज्या करती, सुगनु चुड़लो हाथा मै ।
रूप रंगा रा मेला भरता ,रस बरस्या करतो बातां मै ।
+
रूप रंगा रा मेला भरता, रस बरस्या करतो बातां मै ।
हान्स हान्स कामन घणी पूछती , के के गुज़री रात्यां मै ।
+
हान्स हान्स कामन घणी पूछती, के के गुज़री रात्यां मै ।
घूंघट माई लजा बीनणी ,पल्लो देती दांता मै ।
+
घूंघट माई लजा बीनणी, पल्लो देती दांता मै ।
नीर बिहुणी हुई बावड़ी , सूना पणघट घाट भायला ।
+
नीर बिहुणी हुई बावड़ी, सूना पणघट घाट भायला ।
 
पोळी मै है खाट भायला ।।
 
पोळी मै है खाट भायला ।।
  
छल छल जोबन छ्ळ्क्या करतो ,गोटे हाळी कांचली ।
+
छल छल जोबन छ्ळ्क्या करतो, गोटे हाळी कांचली ।
मांग हींगलू नथ रो मोती ,माथे रखडी सांकली ।
+
मांग हींगलू नथ रो मोती, माथे रखडी सांकली ।
जगमग जगमग दिवलो जुगतो ,पळका पाडता गैणा मै ।
+
जगमग जगमग दिवलो जुगतो, पळका पाडता गैणा मै ।
घनै हेत सूं सेज सजाती ,काजल सारयां नैणा मै ।
+
घनै हेत सूं सेज सजाती, काजल सारयां नैणा मै ।
उन नैणा मै जाळा पड़गा ,देख्या करता बाट भायला ।
+
उन नैणा मै जाळा पड़गा, देख्या करता बाट भायला ।
 
पोळी मै खाट भायला ।।
 
पोळी मै खाट भायला ।।
  
 
अतर छिडकतो पान चबातो नैलै ऊपर दैलो ।
 
अतर छिडकतो पान चबातो नैलै ऊपर दैलो ।
दुनिया कैती कामणगारो ,अपने जुग को छैलो हो ।
+
दुनिया कैती कामणगारो, अपने जुग को छैलो हो ।
 
पण बैरी की डाढ रूपि ना, इतनों बळ हो लाठी मैं ।
 
पण बैरी की डाढ रूपि ना, इतनों बळ हो लाठी मैं ।
तन को बळ मन को जोश झळकणो ,मूंछा हाली आंटी मै ।।
+
तन को बळ मन को जोश झळकणो, मूंछा हाली आंटी मै ।।
इब तो म्हारो राम रूखाळो , मिलगा दोनूं पाट भायला ।
+
इब तो म्हारो राम रूखाळो, मिलगा दोनूं पाट भायला ।
 
पोळी मै खाट भायला ।।
 
पोळी मै खाट भायला ।।
  
पंक्ति 33: पंक्ति 33:
 
हाड हाड मै पीड पळै है रोम रोम है अबखाई ।
 
हाड हाड मै पीड पळै है रोम रोम है अबखाई ।
 
छाती कै मा कफ घरडावै खाल डील की है लटक्याई ।।
 
छाती कै मा कफ घरडावै खाल डील की है लटक्याई ।।
चिटियो म्हारो साथी बणगो ,डगमग हालै टाट भायला ।
+
चिटियो म्हारो साथी बणगो, डगमग हालै टाट भायला ।
 
पोळी मै है खाट भायला ।।
 
पोळी मै है खाट भायला ।।
 
</poem>
 
</poem>

11:29, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

मत पूछे के ठाठ भायला । पोळी मै खाट भायला ।।
पनघट पायल बाज्या करती, सुगनु चुड़लो हाथा मै ।
रूप रंगा रा मेला भरता, रस बरस्या करतो बातां मै ।
हान्स हान्स कामन घणी पूछती, के के गुज़री रात्यां मै ।
घूंघट माई लजा बीनणी, पल्लो देती दांता मै ।
नीर बिहुणी हुई बावड़ी, सूना पणघट घाट भायला ।
पोळी मै है खाट भायला ।।

छल छल जोबन छ्ळ्क्या करतो, गोटे हाळी कांचली ।
मांग हींगलू नथ रो मोती, माथे रखडी सांकली ।
जगमग जगमग दिवलो जुगतो, पळका पाडता गैणा मै ।
घनै हेत सूं सेज सजाती, काजल सारयां नैणा मै ।
उन नैणा मै जाळा पड़गा, देख्या करता बाट भायला ।
पोळी मै खाट भायला ।।

अतर छिडकतो पान चबातो नैलै ऊपर दैलो ।
दुनिया कैती कामणगारो, अपने जुग को छैलो हो ।
पण बैरी की डाढ रूपि ना, इतनों बळ हो लाठी मैं ।
तन को बळ मन को जोश झळकणो, मूंछा हाली आंटी मै ।।
इब तो म्हारो राम रूखाळो, मिलगा दोनूं पाट भायला ।
पोळी मै खाट भायला ।।

बिन दांता को हुयो जबाडो चश्मों चढ्गो आख्याँ मै ।
गोडा मांई पाणी पडगो जोर बच्यो नी हाथां मै ।
हाड हाड मै पीड पळै है रोम रोम है अबखाई ।
छाती कै मा कफ घरडावै खाल डील की है लटक्याई ।।
चिटियो म्हारो साथी बणगो, डगमग हालै टाट भायला ।
पोळी मै है खाट भायला ।।