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कौन मेरी यह आशंका औ’ डर, गिरती ओस को बताएगा
पहले बोलेगा मुर्गा एक, ज़ोर से कुकड़ूँ-कू करके गुर्राएगा
फिर सारे मुर्गे बोल उठेंगे और औ’ क्या सब-कुछ ख़त्म हो जाएगा ?
एक-एक कर गुज़रे वर्षों को, एक-एक कर चुनता हूँ
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