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[[Category:पद]]
<poeMpoem>अति छीन मृनाल के तारहु ते, तेहि ऊपर पाँव दै आवनो है।सुई बेह ते द्वार सकीन तहाँ, परतीति को टाँलदावनो हाँड़ो दावनो है॥ 'कवि बोधा ' अनी घनी नेजहुँ जेजहु ते, चतिापै चढ़ि तापै न चित्त डरावनो है।यह प्रेम को पंथ कराल महा, तरवार तरवारि की धार पै धावनो है॥
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