भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दिन कविता का था / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} रचनाकारः अनिल जनविजय Category:कविताएँ Category:अनिल जनविजय ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=अनिल जनविजय | |
− | + | |संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय | |
− | + | }} | |
− | + | ||
− | + | ||
दिन कविता का था | दिन कविता का था |
19:27, 21 अक्टूबर 2007 का अवतरण
दिन कविता का था
साहित्य अकादमी सभागार में
तुमने कविताएँ अच्छी पढ़ी थीं
मेरे विचार में
कविता पाठ के बाद अचानक
तुम आईं मेरे पास
कैसे हो, अनि ?
कहाँ हो तुम अब ?
--पूछा तुमने सहास
मैंने कहा--
क्या कहूँ मैं तुमसे
कहाँ है मेरा डेरा
वैसा ही हूँ जैसा तब था
वैसा ही जीवन
सम्बन्ध अजब-सा
कविता से मेरा
तुम भी तो हो वैसी की वैसी
ओ जादू की गुड़िया
पहले भी थीं, अब भी हो तुम
कविताओं की पुड़िया
1997 में रचित