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"कोयल कूक / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर
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सुर धनुषी मेषों से | सुर धनुषी मेषों से | ||
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21:15, 7 मार्च 2011 के समय का अवतरण
कविता का एक अंश ही उपलब्ध है । शेषांश आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेज दें
अंचल में समेट पागलपन,
कलित स्मृतियाँ लाई,
आप बालिका से मिलने को
है इस बन में आई
धन हरीतिमा के नीचे
कुछ काल बैठ रसमाती
यौवन का उपहार उसे दे
उठी आज वह गाती
तुम नव जीवन की वर्षा-सी
घिरी हुई कुसुमों से
राज रही होगी विद्युत-सी
सुर धनुषी मेषों से