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'मधुशाला' की मधुरता है इसमें घुली हुई ।<br>
दिनकर के 'द्वापर' की द्वापर* में हुंकार है हिन्दी ।।<br>
भारत को समझना है तो जानिए इसको ।<br>
देश का स्वाभिमान है, आधार है हिन्दी ।।<br>
'''(*द्वापर युग को केन्द्र में रखकर लिखे दो काव्य-कुरुक्षेत्र और रश्मिरथी से दिनकर जी की विशिष्ट पहचान बनी। 'परशुराम की प्रतीक्षा' में परशुराम को भी प्रतीकात्मक रूप में लिया ।]'''