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"तिनका / शिवदयाल" के अवतरणों में अंतर
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करने को | करने को |
23:02, 18 मई 2011 का अवतरण
करने को
जब कुछ नहीं
तो कुतरते रहो
उसे मुँह में ले
कि भर जाए कुछ खालीपन।
जब पंछी घोंसले में
सहेज कर रखते हैं उसे
तब उसमें
कितना होता है वजन!
इतना रौंदे जाने के बाद भी
डूबने वाला
ढूँढ़ता है सहारा
एकमात्र उसका!
कैसा आश्चर्य है,
वह वहाँ है
जहाँ और कोई तारणहार नहीं!
यह ‘कुछ नहीं’ से
‘कुछ’ होने के दरम्यान
वह कहाँ रह जाता है
सिर्फ तिनका!