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मारना / उदय प्रकाश
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18:06, 10 नवम्बर 2009
|संग्रह= सुनो कारीगर / उदय प्रकाश
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
आदमी
मरने के बाद
कुछ नहीं सोचता.
आदमी
मरने के बाद
कुछ नहीं बोलता.
कुछ नहीं सोचने
और कुछ नहीं बोलने पर
आदमी
मर जाता है.
</poem>
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