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"ख़बर / विमलेश त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर

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एक सुस्त-सी रात में
 
एक सुस्त-सी रात में
सन्नाटा घर की बूढ़ी चारदिवारी के भीतर
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जोर-जोर से खाँस रहा था
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ज़ोर-ज़ोर से खाँस रहा था
बाहर दु(िया दानों की नमी
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बाहर दुनिया में दानों की नमी
 
पाले की मार से काली हो रही थी
 
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दूसरे दिन सुबह
 
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नहीं हुई सुबह की तरह
 
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सूरज की तरह नहीं उगा सूरज
 
सूरज की तरह नहीं उगा सूरज
यह खबर घर की चारदिवारी से खेत
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और खेत से पूरे इलाके में पैफल गयी
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यह ख़बर घर की चारदीवारी से खेत
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और खेत से पूरे इलाके में फैल गई
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सभी लोग अचम्भे में थे
 
सभी लोग अचम्भे में थे
कि इतनी बड़ी खबर की तस्वीर
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कि इतनी बड़ी ख़बर की तस्वीर
गाँव की इकलौती टी.वी. पर
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गाँव के इकलौते टी०वी० पर
किसी को भी नजर नहीं आयी
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किसी को भी नज़र नहीं आई
 
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11:02, 11 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

एक सुस्त-सी रात में
सन्नाटा घर की बूढ़ी चारदीवारी के भीतर
ज़ोर-ज़ोर से खाँस रहा था

बाहर दुनिया में दानों की नमी
पाले की मार से काली हो रही थी

दूसरे दिन सुबह
नहीं हुई सुबह की तरह
सूरज की तरह नहीं उगा सूरज

यह ख़बर घर की चारदीवारी से खेत
और खेत से पूरे इलाके में फैल गई

सभी लोग अचम्भे में थे
कि इतनी बड़ी ख़बर की तस्वीर
गाँव के इकलौते टी०वी० पर
किसी को भी नज़र नहीं आई