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"इंसान कहाँ (हाइकु) / जगदीश व्योम" के अवतरणों में अंतर
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शायद ये कुहासा | शायद ये कुहासा | ||
यही प्रत्याशा । | यही प्रत्याशा । | ||
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09:17, 4 जून 2012 के समय का अवतरण
इर्द गिर्द हैं
साँसों की ये मशीने
इंसान कहाँ !
कुछ कम हो
शायद ये कुहासा
यही प्रत्याशा ।
सहम गई
फुदकती गौरैया
शुभ नहीं ये।