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आँखें / अरविन्द श्रीवास्तव
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07:07, 16 जून 2012
'''मकबूल फ़िदा हुसैन को समर्पित'''
इक्ट्ठे
इकट्ठे
हो रहे हैं सपने
धरती के सारे रंग-रोगन
तूलिका-कैनवास, फ़्रेम-अकृतियाँ
हुसैन के
इक्ट्ठे
इकट्ठे
हो रहे हैं
धरती के अश्व सारे
गणपति-सरस्वती
अनिल जनविजय
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