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<poem>
बिजलियों को अपनी चमक दिउखाने दिखाने की
इतनी जल्दी मचती थी
कि अपनी आवाज़ें पीछे छोड़ आती थीं
आवाज़ें आती थीं पीछा करतीं
अपनी गायब ग़ायब हो चुकी
बिजलियों को तलाशतीं
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