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"रुपगर्विता / रामकृष्ण वर्मा 'बलवीर'" के अवतरणों में अंतर

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<poem>मेरी बहियाँ बतावे ‘बलविरवा’ सरोजवा, त हरवा गरवा में कि न देत।
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<poem>फुलिहें अनरवा सेमर कचनरवा पलसवा गुलबवा अनन्त।
जब मुँहवाँ कहेला मोर चँदवा सरिस, कहु चँदवे निरखि कि न लेत।।
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बिरहा विरवा लगायो ‘बलविरवा’ सो फुलिहें जो आयो हैं बसंत।।
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रजवा करत मोर रजवा मथुरवा में हमस ब भइलीं फकीर।
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हमरी पिरितिया निबाहे कैसे ऊघो,’बलबिरवा’ की जतिया अहीर।।
 
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16:52, 28 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

फुलिहें अनरवा सेमर कचनरवा पलसवा गुलबवा अनन्त।
बिरहा विरवा लगायो ‘बलविरवा’ सो फुलिहें जो आयो हैं बसंत।।
रजवा करत मोर रजवा मथुरवा में हमस ब भइलीं फकीर।
हमरी पिरितिया निबाहे कैसे ऊघो,’बलबिरवा’ की जतिया अहीर।।