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"तुमको सजा मिलेगी / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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गिल्ली लगी सामने कसकर, दद्दू का सिर फूटा| | गिल्ली लगी सामने कसकर, दद्दू का सिर फूटा| | ||
− | डर के मारे गद्दू जी का ,इधर पसीना छूटा|| | + | डर के मारे गद्दू जी का, इधर पसीना छूटा|| |
मार पड़ेगी यही सोचकर, गद्दू घर से भागे| | मार पड़ेगी यही सोचकर, गद्दू घर से भागे| | ||
− | किंतु हाय तकदीर पड़ गये ,दादीजी के आगे|| | + | किंतु हाय तकदीर पड़ गये, दादीजी के आगे|| |
दादी ने पकड़ा हाथों से, करदी बहुत धुनाई| | दादी ने पकड़ा हाथों से, करदी बहुत धुनाई| | ||
− | फोड़ा था दद्दू का सिर ,तो सजा उन्होंने पाई|| | + | फोड़ा था दद्दू का सिर, तो सजा उन्होंने पाई|| |
− | उल्टे सीधे काम किये ,तो अब न दाल गलेगी| | + | उल्टे सीधे काम किये,तो अब न दाल गलेगी| |
फोड़ा अगर किसी का सिर तो, तुमको सजा मिलेगी</poem> | फोड़ा अगर किसी का सिर तो, तुमको सजा मिलेगी</poem> |
10:03, 30 जून 2014 का अवतरण
टुल्लम टुल्ला गिल्ली डंडा, खेल रहे थे गद्दू|
इसी बीच में ठीक सामने, निकल पड़े थे दद्दू||
गिल्ली लगी सामने कसकर, दद्दू का सिर फूटा|
डर के मारे गद्दू जी का, इधर पसीना छूटा||
मार पड़ेगी यही सोचकर, गद्दू घर से भागे|
किंतु हाय तकदीर पड़ गये, दादीजी के आगे||
दादी ने पकड़ा हाथों से, करदी बहुत धुनाई|
फोड़ा था दद्दू का सिर, तो सजा उन्होंने पाई||
उल्टे सीधे काम किये,तो अब न दाल गलेगी|
फोड़ा अगर किसी का सिर तो, तुमको सजा मिलेगी