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"शुक्रतारा / मदन वात्स्यायन" के अवतरणों में अंतर

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नए दूल्हे-सा सूरज नववधू सा पीछे-पीछे यह
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नए दूल्हे-सा सूरज, नववधू सा पीछे-पीछे यह
शुक्रतारा जा रहा है
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                                  शुक्रतारा जा रहा है
  
बदल रहा है रंग आसमां का क्षण-क्षण
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बदल रहा है रंग आसमाँ का क्षण-क्षण
बदल-बदल यह जगमगा रहा है
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                              बदल-बदल यह जगमगा रहा है
इंजन के हेडलाइट-सा शोरगुल के बीच
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इंजन के हेडलाइट-सा ; शोरगुल के बीच
सूरज निकल गया
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                                सूरज निकल गया
 
गार्ड की रोशनी-सा पीछे पीछे गुमसुम अब
 
गार्ड की रोशनी-सा पीछे पीछे गुमसुम अब
शुक्रतारा जा रहा है ।
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                              शुक्रतारा जा रहा है ।
  
हमारी बस्ती में दिये से बल्ब से पैट्रोमैक्स-सा चाँद
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हमारी बस्ती में दिये-से, बल्ब-से (पैट्रोमैक्स-सा चाँद),
चारों ओर बल उठे तारे
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                                चारों ओर बल उठे तारे
 
दूरी में बैलगाड़ी की लालटेन-सा यह
 
दूरी में बैलगाड़ी की लालटेन-सा यह
शुक्रतारा जा रहा है ।
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                                  शुक्रतारा जा रहा है ।
  
शहर को अँधेरा कर हवाईजहाज़ से
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शहर को अँधेरा कर हवाई जहाज़ से
मिनिस्टर चले गए
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                              मिनिस्टर चले गए
जनता से एम० एल० ए०-सा पीछे-पीछे यह
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’जनता’ से एम० एल० ए०-सा पीछे-पीछे यह
शुक्रतारा जा रहा है।
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                                शुक्रतारा जा रहा है ।
  
कि भटक न जाएँ राहगीरों की ख़ातिर
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कि भटक न जाएँ, राहगीरों की ख़ातिर
शाम को जला के मशाल अब शुक्रतारा जा रहा है ।
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            शाम को जला के मशाल अब शुक्रतारा जा रहा है ।
 
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तपता सूर्य गया चिल्लाते ’राह दिखाते’ कौड़ियों-से
तपता सूर्य गया चिल्लाते राह दिखाते कौड़ियों से
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                                    सितारे दौड़ आ भरे
सितारे दौड़ आ भरे
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अपने सब कुछ की रमाने धूनी अब क्रान्ति-दृष्टा
अपने सब कुछ की रमाने धूनी अब क्राँतिदृष्टा
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                                    शुक्रतारा जा रहा है ।
शुक्रतारा जा रहा है ।
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है नेहरू एक वतन का प्यारा सताए हुओं को है
 
है नेहरू एक वतन का प्यारा सताए हुओं को है
जिस पर भरोसा ।
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                                  जिस पर भरोसा ।
 
हमारा आँखों में अब भी चमक है कि बीच आसमाँ में
 
हमारा आँखों में अब भी चमक है कि बीच आसमाँ में
वह सितारा जगमगा रहा है ।
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                                वह सितारा जगमगा रहा है ।
  
बीबी सजा दियों का थाल लाओ ज्योति भर लो ।
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बीवी, सजा दियों का थाल लाओ, ज्योति भर लो ।
कि हमारे आसमान को सूना कर के रक्ष के देवता यह
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कि हमारे आसमान को सूना कर के रश्के देवता यह
शुक्रतारा जा रहा है ।
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                                      शुक्रतारा जा रहा है ।
 
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11:27, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

नए दूल्हे-सा सूरज, नववधू सा पीछे-पीछे यह
                                   शुक्रतारा जा रहा है ।

बदल रहा है रंग आसमाँ का क्षण-क्षण
                               बदल-बदल यह जगमगा रहा है ।
इंजन के हेडलाइट-सा ; शोरगुल के बीच
                                सूरज निकल गया ।
गार्ड की रोशनी-सा पीछे पीछे गुमसुम अब
                               शुक्रतारा जा रहा है ।

हमारी बस्ती में दिये-से, बल्ब-से (पैट्रोमैक्स-सा चाँद),
                                 चारों ओर बल उठे तारे ।
दूरी में बैलगाड़ी की लालटेन-सा यह
                                  शुक्रतारा जा रहा है ।

शहर को अँधेरा कर हवाई जहाज़ से
                              मिनिस्टर चले गए ।
’जनता’ से एम० एल० ए०-सा पीछे-पीछे यह
                                शुक्रतारा जा रहा है ।

कि भटक न जाएँ, राहगीरों की ख़ातिर
             शाम को जला के मशाल अब शुक्रतारा जा रहा है ।
तपता सूर्य गया चिल्लाते ’राह दिखाते’ कौड़ियों-से
                                    सितारे दौड़ आ भरे ।
अपने सब कुछ की रमाने धूनी अब क्रान्ति-दृष्टा
                                     शुक्रतारा जा रहा है ।

है नेहरू एक वतन का प्यारा सताए हुओं को है
                                   जिस पर भरोसा ।
हमारा आँखों में अब भी चमक है कि बीच आसमाँ में
                                वह सितारा जगमगा रहा है ।

बीवी, सजा दियों का थाल लाओ, ज्योति भर लो ।
कि हमारे आसमान को सूना कर के रश्के देवता यह
                                       शुक्रतारा जा रहा है ।