भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क्षणिकाएँ-1 / विपिन कुमार मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विपिन कुमार मिश्र |अनुवादक= }} {{KKCatAngik...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
<poem>
 
<poem>
 
1
 
1
काटै तेॅ सब्भे छैµ
+
काटै तेॅ सब्भे छै-
 
हम्में हुनकोॅ खेत काटै छियै  
 
हम्में हुनकोॅ खेत काटै छियै  
 
आरो हुनी हमरोॅ पेट काटै छै !
 
आरो हुनी हमरोॅ पेट काटै छै !
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
 
2
 
2
 
हुनियो गनै छै !
 
हुनियो गनै छै !
आरो हम्हू गनै छियैµ
+
आरो हम्हू गनै छियै-
 
हुनी नोट गनै छै
 
हुनी नोट गनै छै
 
आरो हम्में तारा !
 
आरो हम्में तारा !
पंक्ति 24: पंक्ति 24:
  
 
4
 
4
कत्तेॅ उत्तम विचार छैµ
+
कत्तेॅ उत्तम विचार छै-
 
बेचारा पर चारा डालै छै ।
 
बेचारा पर चारा डालै छै ।
 
</poem>
 
</poem>

09:29, 26 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

1
काटै तेॅ सब्भे छै-
हम्में हुनकोॅ खेत काटै छियै
आरो हुनी हमरोॅ पेट काटै छै !

2
हुनियो गनै छै !
आरो हम्हू गनै छियै-
हुनी नोट गनै छै
आरो हम्में तारा !

3
पानी की देखै छोॅ,
खाली की पानियें में डूबै छै ।
हुनी सुरा-सुन्दरी में डुबलोॅ छोॅत
आरो हम्में करजा में ।

4
कत्तेॅ उत्तम विचार छै-
बेचारा पर चारा डालै छै ।