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"बर्खास्त आदमी / रमेश आज़ाद" के अवतरणों में अंतर

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10:44, 21 मार्च 2017 के समय का अवतरण

एक बर्खास्त आदमी को
कहीं से भी
बर्खास्त किया जा सकता है
घर से
नौकरी से
हंसी से
हवा से
सब जगह उपस्थित रहने के बावजूद।

बर्खास्त आदमी
ऐसी संसद का सदन होता है
जो कभी भी संग हो सकता है।

बर्खास्त आदमी का
कोई रंग नहीं होता
जो किसी पर चढ़ जाए!

कयामत आ सकती है दुनिया में
अगर बर्खास्त आदमी का कद
उसके कद से बढ़ जाए...