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बर्खास्त आदमी / रमेश आज़ाद

एक बर्खास्त आदमी को
कहीं से भी
बर्खास्त किया जा सकता है
घर से
नौकरी से
हंसी से
हवा से
सब जगह उपस्थित रहने के बावजूद।

बर्खास्त आदमी
ऐसी संसद का सदन होता है
जो कभी भी संग हो सकता है।

बर्खास्त आदमी का
कोई रंग नहीं होता
जो किसी पर चढ़ जाए!

कयामत आ सकती है दुनिया में
अगर बर्खास्त आदमी का कद
उसके कद से बढ़ जाए...