भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"राम / इक़बाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इक़बाल }} लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द । सब फ...)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=इक़बाल
 
|रचनाकार=इक़बाल
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatNazm}}
 +
<poem>
  
 +
लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द<ref> हिन्द का प्याला सत्य की मदिरा से छलक रहा है </ref>
  
लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द
+
सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता--मग़रिब के रामे हिन्द<ref> पूरब के महान चिंतक हिन्द के राम हैं </ref>
  
सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द ।।
+
ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक<ref>महान चिंतन </ref> उसका है असर,
  
ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक उसका है असर,
+
रिफ़अत<ref>ऊँचाई </ref> में आस्माँ से भी ऊँचा है बामे-हिन्द<ref>हिन्दी का गौरव या ज्ञान </ref>
  
रिफ़अत में आस्माँ से भी ऊँचा है बामे-हिन्द ।
+
इस देश में हुए हैं हज़ारों मलक<ref>देवता</ref> सरिश्त<ref>ऊँचे आसन पर </ref> ,
  
इस देश में हुए हैं हज़ारों मलक सरिश्त,
+
मशहूर जिसके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द
  
मशहूर जिसके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द ।
+
है राम के वजूद<ref>अस्तित्व </ref> पे हिन्दोस्ताँ को नाज़,
  
है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़,
+
अहले-नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द
  
अहले-नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द ।
+
एजाज़ <ref>चमत्कार </ref> इस चिराग़े-हिदायत<ref>ज्ञान का दीपक </ref> , का है यही
  
एजाज़ इस चिराग़े-हिदायत का है यही
+
रोशन तिराज़ सहर<ref>भरपूर रोशनी वाला सवेरा </ref> ज़माने में शामे-हिन्द
  
रोशन तिराज़ सहर ज़माने में शामे-हिन्द ।
+
तलवार का धनी था, शुजाअत<ref>वीरता </ref> में फ़र्द<ref>एकमात्र </ref> था,
  
तलवार का धनी था, शुजाअत में फ़र्द था,
+
पाकीज़गी<ref> पवित्रता </ref> में, जोशे-मुहब्बत में फ़र्द था  
  
पाकीज़गी में, जोशे-मुहब्बत में फ़र्द था ।
+
</poem>
 
+
{{KKMeaning}}
 
+
 
+
'''शब्दार्थ :
+
 
+
लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द । सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द ।।= हिन्द का प्याला सत्य की मदिरा से छलक रहा है। पूरब के सभी महान चिंतक इहंद के राम हैं; फिक्रे-फ़लक=महान चिंतन; रिफ़अत=ऊँचाई; बामे-हिन्द=हिन्दी का गौरव या ज्ञान; मलक=देवता; सरिश्त=ऊँचे आसन पर; एजाज़=चमत्कार;  चिराग़े-हिदायत=ज्ञान का दीपक; सहर=भरपूर रोशनी वाला सवेरा; शुजाअत=वीरता;  फ़र्द=एकमात्र, अद्वितीय; पाकीज़गी= पवित्रता
+

16:32, 7 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण


लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द<ref> हिन्द का प्याला सत्य की मदिरा से छलक रहा है </ref>

सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द<ref> पूरब के महान चिंतक हिन्द के राम हैं </ref>

ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक<ref>महान चिंतन </ref> उसका है असर,

रिफ़अत<ref>ऊँचाई </ref> में आस्माँ से भी ऊँचा है बामे-हिन्द<ref>हिन्दी का गौरव या ज्ञान </ref>

इस देश में हुए हैं हज़ारों मलक<ref>देवता</ref> सरिश्त<ref>ऊँचे आसन पर </ref> ,

मशहूर जिसके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द

है राम के वजूद<ref>अस्तित्व </ref> पे हिन्दोस्ताँ को नाज़,

अहले-नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द

एजाज़ <ref>चमत्कार </ref> इस चिराग़े-हिदायत<ref>ज्ञान का दीपक </ref> , का है यही

रोशन तिराज़ सहर<ref>भरपूर रोशनी वाला सवेरा </ref> ज़माने में शामे-हिन्द

तलवार का धनी था, शुजाअत<ref>वीरता </ref> में फ़र्द<ref>एकमात्र </ref> था,

पाकीज़गी<ref> पवित्रता </ref> में, जोशे-मुहब्बत में फ़र्द था

शब्दार्थ
<references/>