"पगडण्डी / आरती तिवारी" के अवतरणों में अंतर
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आरती वर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) छो (Sharda suman ने पगडण्डी / आरती वर्मा पृष्ठ पगडण्डी / आरती तिवारी पर स्थानांतरित किया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:48, 15 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
पाई जाती हैं
गाँवों कस्बों में ही
ढूंढे से भी नहीं मिलतीं
महानगरों के जाल में
मोहती आई हैं
अपने गंवई सौंधेपन से
कितने ही किस्से किंवदंतियाँ
सुनाते हैं इनके यात्रा-वृतान्त
किसके खेत से
किस बावड़ी तक
रेंगी,चली,उछली कूदी
और जवान हो गईं
इनके ग़म और ख़ुशी के तराने
गूंजते रहे चौपालों पर
ज़रूरत के हिसाब से
ज़रूरत के लिए बनती चली गईं
इनके सीने में दफ़्न हैं आज भी
पूर्वजों के पदचिन्ह
जो इन्हें चलना सिखाते थे कभी
और खुद इनके कन्धों पर चढ़कर
विलीन होते रहे
क्षितिज की लालिमा में
ये आज भी जीवन्त हैं
और गाहे बगाहे हंस देती हैं
महानगरों के ट्रेफिक जाम पर
ये बैलों की गली में बंधी
घंटियों के संगीत सुन
गौधूली की बेला में
आज भी घर पहुँचा देती हैं
नवागन्तुक को
जबकि महानगर नज़रें फेर लेता है
और तोड़ देता है दम
कोई सपना हौसला खोकर
पगडण्डी डटी रहती है
हटती नहीं अहद से