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"कितनी देर और / इला कुमार" के अवतरणों में अंतर
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दोनों चुप हैं | दोनों चुप हैं |
08:52, 25 जून 2008 का अवतरण
आँख जो
आकाश के आरपार निहारती है
सम्पूर्ण सृष्टि को
सत् का असत् और असत् का सत्
दोनों चुप हैं
मौन है वायु में निहित प्राण
समूची पृथ्वी अपने पगों से विरच
अदृष्ट दृष्ट वैश्नावर
यही कहीं डिसोल्व होता हुआ
कालखंड के बीच से झरता हुआ समय प्रवाह
अभी और कितनी देर
कितनी देर और?