[[Category:चोका]]
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चल रही थीमैं सीधी सच्ची राहमासूम मनकोमल -सा ले तनबढ़ती रही,सँभलकर पगधरती रही।दिखा था अचानकराहों में मेरीवो वहशी दरिंदालगा बैठा थाजाने कब से घात।मैं डरी,काँपीहिरणी -सी सहमीस्तब्ध थी हुईपर क्षण भर मेंसमझ गईमैं सारे ही हालात।पंजों को तानेमैं आगे बढ़ चलीनोंची थी आँखेंखरोंचा था चेहरालगता नहीं अब कोई भी डरबदला चोलाबन गई शेरनीभेड़ियों की नचाल कोई चलेगी लुप्त हुई वोमासूम व कोमल सहमी- सी हिरणी ।
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