भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"और फुर्सत में धोया / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता भट्ट |अनुवादक= | }} {{KKCatKavita}} <poem> </...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | और फुर्सत में धोया | |
+ | गर्म पानी में डुबोकर | ||
+ | थपकी से कूट-कूट कर | ||
+ | सूती कपड़े की तरह | ||
+ | रगड़-रगड़कर | ||
+ | बड़े इत्मिनान से | ||
+ | और फुर्सत में धोया | ||
+ | रंगीन-चमकीले सपनों को | ||
+ | तूने ओ जिन्दगी! | ||
+ | रंग फीके पड़ गए | ||
+ | हैरानी यह है कि | ||
+ | इन्हें न सहेज सकने का | ||
+ | इल्जाम भी मेरे ही सिर आया। | ||
</poem> | </poem> |
06:10, 27 जून 2020 के समय का अवतरण
और फुर्सत में धोया
गर्म पानी में डुबोकर
थपकी से कूट-कूट कर
सूती कपड़े की तरह
रगड़-रगड़कर
बड़े इत्मिनान से
और फुर्सत में धोया
रंगीन-चमकीले सपनों को
तूने ओ जिन्दगी!
रंग फीके पड़ गए
हैरानी यह है कि
इन्हें न सहेज सकने का
इल्जाम भी मेरे ही सिर आया।