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"साहित्य में विकलांगता विमर्श" के अवतरणों में अंतर

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पोलियो के साथ भारत में बीते बचपन और युवावस्था के अनुभवों पर आधारित मेरी पुस्तक है: "विटामिन ज़िन्दगी"... इस पुस्तक को लिखते समय मैंने कई बार सोचा को हमारे साहित्य में कई प्रकार के विमर्श और आंदोलन स्थापित हैं -- लेकिन इनमें से किसी में भी विकालंगता विषय पर बात नहीं होती। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में दो करोड़ 68 लाख लोग विकलांगता से प्रभावित हैं। मेरा अनुमान है कि अगली जनगणना में यह संख्या दस करोड़ से ऊपर हो जाएगी। समाज के एक इतने बड़े वर्ग के बारे में, उसकी समस्याओं के बारे में, उसके संघर्ष के बारे में कोई साहित्यिक विमर्श क्यों नहीं होता? इसी बात से प्रेरित होकर मैंने '''"विटामिन ज़िन्दगी"''' के छपने के साथ ही '''साहित्य में विकलांगता विमर्श''' को शुरु करने का एक अभियान आरम्भ किया। इसी कड़ी में हम कविता कोश में विकलांगता विमर्श का यह नया अनुभाग बना रहे हैं।
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पोलियो के साथ भारत में बीते बचपन और युवावस्था के अनुभवों पर आधारित मेरी पुस्तक है: ''विटामिन ज़िन्दगी''... इस पुस्तक को लिखते समय मैंने कई बार सोचा को हमारे साहित्य में कई प्रकार के विमर्श और आंदोलन स्थापित हैं -- लेकिन इनमें से किसी में भी विकालंगता विषय पर बात नहीं होती। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में दो करोड़ 68 लाख लोग विकलांगता से प्रभावित हैं। मेरा अनुमान है कि अगली जनगणना में यह संख्या दस करोड़ से ऊपर हो जाएगी। समाज के एक इतने बड़े वर्ग के बारे में, उसकी समस्याओं के बारे में, उसके संघर्ष के बारे में कोई साहित्यिक विमर्श क्यों नहीं होता? इसी बात से प्रेरित होकर मैंने '''"विटामिन ज़िन्दगी"''' के छपने के साथ ही '''साहित्य में विकलांगता विमर्श''' को शुरु करने का एक अभियान आरम्भ किया। इसी कड़ी में हम कविता कोश में विकलांगता विमर्श का यह नया अनुभाग बना रहे हैं।
  
 
इस अनुभाग में ऐसी साहित्यिक रचनाएँ सूचीबद्ध करने की जा रही हैं जो विकलांगता को केन्द्र में रखकर लिखी गई हैं। साथ ही इस अनुभाग में हम उन रचनाकारों को भी शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करेंगे जो किसी प्रकार की विकलांगता से प्रभावित हैं। यदि आप इस श्रेणी में आने वाले रचनाकार हैं या आपने विकलांगता को केन्द्र में रखकर कोई रचना लिखी है तो इस अनुभाग से जुड़ने के लिए kavitakosh@gmail.com पर सम्पर्क करें। सम्बंधित विषयों के शोधार्थियों से भी अनुरोध है कि वे इसी ईमेल पते पर सम्पर्क करें।
 
इस अनुभाग में ऐसी साहित्यिक रचनाएँ सूचीबद्ध करने की जा रही हैं जो विकलांगता को केन्द्र में रखकर लिखी गई हैं। साथ ही इस अनुभाग में हम उन रचनाकारों को भी शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करेंगे जो किसी प्रकार की विकलांगता से प्रभावित हैं। यदि आप इस श्रेणी में आने वाले रचनाकार हैं या आपने विकलांगता को केन्द्र में रखकर कोई रचना लिखी है तो इस अनुभाग से जुड़ने के लिए kavitakosh@gmail.com पर सम्पर्क करें। सम्बंधित विषयों के शोधार्थियों से भी अनुरोध है कि वे इसी ईमेल पते पर सम्पर्क करें।
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यह भी देखें: '''[[विटामिन ज़िन्दगी पुरस्कार]]'''
  
 
====विकलांगता से प्रभावित रचनाकार====
 
====विकलांगता से प्रभावित रचनाकार====
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|एका (हिन्द युग्म / वेस्टलैंड पब्लिकेशन्स)
 
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|जैसा मैंने देखा तुमको
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|सम्पादक: सम्यक ललित व स्वप्निल तिवारी
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|हिन्दी
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|2020
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|काव्य-संकलन
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|श्वेतवर्णा प्रकाशन
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|[https://shwetwarna.com/shop/books/best-seller/jaisa-maine-dekha-tumko-samyak-lalit-swapnil-tiwari/ श्वेतवर्णा]
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|तुम्हारी लंगी
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|कंचन सिंह चौहान
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|हिन्दी
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|2020
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|कहानी-संकलन
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|राजपाल एंड संस
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|[https://www.amazon.in/Tumhari-Langi-Hindi-Kanchan-Chauhan-ebook/dp/B08PFW69XK अमेज़न]
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|टूटे पंखों से परवाज तक
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|सुमित्रा महरोल
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|हिन्दी
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|2020
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|संस्मरण
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|द मार्जिनलाइज़्ड पब्लिकेशन
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|[http://www.themarginalisedpublication.com/product/dalit-prashna-sheoraj-singh-bechain मार्जिनलाइज़्ड पब्लिकेशन]
 
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22:33, 26 फ़रवरी 2021 का अवतरण

विटामिन ज़िन्दगी
Vitamin-zindagi-lalit-kumar-kavitakosh.jpg
रचनाकार ललित कुमार
प्रकाशक एका (हिन्द युग्म / वेस्टलैंड पब्लिकेशन्स)
वर्ष 2019
भाषा हिन्दी
विषय जीवन में संघर्ष और सफलता
विधा संस्मरण
पृष्ठ 256
ISBN 9388689178
विविध पुस्तक अमेज़नफ़्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

शुरुआत

पोलियो के साथ भारत में बीते बचपन और युवावस्था के अनुभवों पर आधारित मेरी पुस्तक है: विटामिन ज़िन्दगी... इस पुस्तक को लिखते समय मैंने कई बार सोचा को हमारे साहित्य में कई प्रकार के विमर्श और आंदोलन स्थापित हैं -- लेकिन इनमें से किसी में भी विकालंगता विषय पर बात नहीं होती। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में दो करोड़ 68 लाख लोग विकलांगता से प्रभावित हैं। मेरा अनुमान है कि अगली जनगणना में यह संख्या दस करोड़ से ऊपर हो जाएगी। समाज के एक इतने बड़े वर्ग के बारे में, उसकी समस्याओं के बारे में, उसके संघर्ष के बारे में कोई साहित्यिक विमर्श क्यों नहीं होता? इसी बात से प्रेरित होकर मैंने "विटामिन ज़िन्दगी" के छपने के साथ ही साहित्य में विकलांगता विमर्श को शुरु करने का एक अभियान आरम्भ किया। इसी कड़ी में हम कविता कोश में विकलांगता विमर्श का यह नया अनुभाग बना रहे हैं।

इस अनुभाग में ऐसी साहित्यिक रचनाएँ सूचीबद्ध करने की जा रही हैं जो विकलांगता को केन्द्र में रखकर लिखी गई हैं। साथ ही इस अनुभाग में हम उन रचनाकारों को भी शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करेंगे जो किसी प्रकार की विकलांगता से प्रभावित हैं। यदि आप इस श्रेणी में आने वाले रचनाकार हैं या आपने विकलांगता को केन्द्र में रखकर कोई रचना लिखी है तो इस अनुभाग से जुड़ने के लिए kavitakosh@gmail.com पर सम्पर्क करें। सम्बंधित विषयों के शोधार्थियों से भी अनुरोध है कि वे इसी ईमेल पते पर सम्पर्क करें।

यह भी देखें: विटामिन ज़िन्दगी पुरस्कार

विकलांगता से प्रभावित रचनाकार

विकलांगता पर केन्द्रित रचनाएँ

काव्य
कहानियाँ
लेख

विकलांगता पर केन्द्रित साहित्यिक पुस्तकें

पुस्तक लेखक भाषा वर्ष शैली प्रकाशक लिंक
विटामिन ज़िन्दगी ललित कुमार हिन्दी 2019 संस्मरण एका (हिन्द युग्म / वेस्टलैंड पब्लिकेशन्स) अमेज़न
जैसा मैंने देखा तुमको सम्पादक: सम्यक ललित व स्वप्निल तिवारी हिन्दी 2020 काव्य-संकलन श्वेतवर्णा प्रकाशन श्वेतवर्णा
तुम्हारी लंगी कंचन सिंह चौहान हिन्दी 2020 कहानी-संकलन राजपाल एंड संस अमेज़न
टूटे पंखों से परवाज तक सुमित्रा महरोल हिन्दी 2020 संस्मरण द मार्जिनलाइज़्ड पब्लिकेशन मार्जिनलाइज़्ड पब्लिकेशन
शर्मिष्ठार आत्मकथा शर्मिष्ठा प्रीतम असमिया आत्मकथा