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कब किसानों की बेहतरी की बात करियेगा
उनकी ख़ुशहाल ज़िन्दगी की बात करियेगा
आज भी कितने घरों में नहीं बिजली पहुँची
कब अँधेरे में रोशनी की बात करियेगा
चार पैसे के लिए दर ब दर भटकता है
आप कब उसकी बेबसी की बात करियेगा
 
इस क़दर क्यों दुखी किसान है सोचा तूने
ये ज़रूरी है तो इसी की बात करियेगा
 
जब ये सरकार ही मुँह फेर लिए है अपना
ऐसे में कैसे तरक्की की बात करियेगा
 
उसकी औक़ात नहीं है महल का ख़्वाब बुने
कम से कम उसकी झोपड़ी की बात करियेगा
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