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"गले लगाएँ / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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01:11, 5 जुलाई 2021 के समय का अवतरण
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तुम छाया हो
जीवन की धूप में
मन, काया हो।
47
शीत भीषण
काँपे जब वजूद,
तुम हो धूप।
47
मिटता वैभव
जर्जर होती काया
प्यार न मिटे।
48
एक छुअन
हौले लिया चुम्बन
प्राण जगाए।
49
कितना दिया !
पिलाया मधुरस!
जाने ये हिया।
50
देती है ऊर्जा
तेरी वे प्रार्थनाएँ
गले लगाएँ।
51
शब्दों में रस
दृष्टि में मधु स्पर्श
तुझसे पाया।