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"हाइकु / अंजू घरबरन / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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नदी ये सोचे-
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ख्वे कैं सन्तोसी
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नदी का नीर
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क्या जानेगा सागर
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ठहरा खारा
  
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क्या जणलु समोद्र
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ठैरी यु लुण्यूँ
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नदी बहती
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पहाड़ों से निकल
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गंगा बगदी
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पाड़ू बिटि निकळि
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नदी -संग रहते
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नहीं बहते।
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मगर-माछी
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गंगाळ-संग रैन्दा
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नि बगदन
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नदी व नारी
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बहे सम धारा-सी
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मान तो  दे दो
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गंगा-जनानि
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बग्दी धारै कि तरौं
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सन्मान त द्या
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20:40, 3 मई 2021 के समय का अवतरण

1
नदी ये सोचे-
बहे क्यों न ये संग
तटस्थ तट

गंगा सोचणि
बग्दा किलै नि गैल
बैठयूँ तीरा
2
नदी तड़पे
सागर में अस्तित्व
खो के संतुष्ट

गंगा तड़फि
समोद्र माँ साकत
ख्वे कैं सन्तोसी
3
नदी का नीर
क्या जानेगा सागर
ठहरा खारा

गंगाळौ पाणी
क्या जणलु समोद्र
ठैरी यु लुण्यूँ
4
नदी बहती
पहाड़ों से निकल
बसाती घर

गंगा बगदी
पाड़ू बिटि निकळि
बसौंदी घौर
5
मगर, मीन
नदी -संग रहते
नहीं बहते।

मगर-माछी
गंगाळ-संग रैन्दा
नि बगदन
6
नदी व नारी
बहे सम धारा-सी
मान तो दे दो

गंगा-जनानि
बग्दी धारै कि तरौं
सन्मान त द्या
-0-