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"कुछ न माँग / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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23:08, 11 दिसम्बर 2024 के समय का अवतरण
62
कुछ न माँगा
दिनभर खटे थे
सूखी रोटियाँ
माँगी थीं साँझ ढले
धिक्कार मिली।
63
हदे होती हैं
प्यार-मनुहार की
तकरार की
बेशर्मी का न होता
ओर-छोर कोई भी।
(7-8-2011)