भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"निष्काम प्रीति / विनीत मोहन औदिच्य" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= विनीत मोहन औदिच्य }} {{KKCatKavita}} <poem> </poem>' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 +
चाल गज की चले मान से वो भरी
 +
कर नदी पार वो धार से अति डरी
 +
रूप की राशि से ये मुदित मन हुआ
 +
गात कंपित हुआ भाल उसने छुआ।
  
 +
नैन हैं मद भरे होठ भी अध खुले
 +
केश बिखरे हुए चांदनी में धुले
 +
लाल अधरों सखी लाज सी खेलती
 +
काम का तीव्रतम वार सा झेलती ।
  
 +
हाल बेहाल कर ज्वार जब जब उठा
 +
प्रेम का पत्र भी कामना ने लिखा
 +
तीव्र सांसें चलीं बढ़ गई धड़कनें
 +
मैल मन का धुला मिट गई अड़चनें ।
  
 
+
रात भर श्याम ने नृत्य जी भर किया
 
+
प्रीति निष्काम की ज्योति से भर दिया।।
 +
-0-
 
</poem>
 
</poem>

14:11, 25 अक्टूबर 2022 के समय का अवतरण

चाल गज की चले मान से वो भरी
कर नदी पार वो धार से अति डरी
रूप की राशि से ये मुदित मन हुआ
गात कंपित हुआ भाल उसने छुआ।

नैन हैं मद भरे होठ भी अध खुले
केश बिखरे हुए चांदनी में धुले
लाल अधरों सखी लाज सी खेलती
काम का तीव्रतम वार सा झेलती ।

हाल बेहाल कर ज्वार जब जब उठा
प्रेम का पत्र भी कामना ने लिखा
तीव्र सांसें चलीं बढ़ गई धड़कनें
मैल मन का धुला मिट गई अड़चनें ।

रात भर श्याम ने नृत्य जी भर किया
प्रीति निष्काम की ज्योति से भर दिया।।
-0-