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|रचनाकार=चन्द्रकान्त देवताले
|संग्रह=लकड़बग्घा हँस रहा है / चन्द्रकान्त देवताले
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वसन्त कहीं नहीं उतना असर कर रहा
जितना चिडियों की फुदक-चहक में