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"इन दिनों / प्रियंका पण्डित" के अवतरणों में अंतर

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कश्मीर की भारी बर्फ़बारी के बाद
 
कश्मीर की भारी बर्फ़बारी के बाद
 
हाँ, मौसम थोड़ा ठण्डा होता जा रहा है
 
हाँ, मौसम थोड़ा ठण्डा होता जा रहा है
मैं नेहद मामूली दोपहरों में बन्द हूँ
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मैं बेहद मामूली दोपहरों में बन्द हूँ
 
तुम कहाँ हो?
 
तुम कहाँ हो?
 
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17:15, 26 मार्च 2009 के समय का अवतरण

बहुत मामूली दोपहरें हैं
इन दिनों मेरे पास
दरवाज़ों पर जो धूप टपकती थी
मायूस-सी चुप खड़ी है
हवाएँ दस्तक देने के पहले ही
बेहद शुष्क हो जाती हैं
शहर तो वैसा ही है
-बीतता हुआ-
कश्मीर की भारी बर्फ़बारी के बाद
हाँ, मौसम थोड़ा ठण्डा होता जा रहा है
मैं बेहद मामूली दोपहरों में बन्द हूँ
तुम कहाँ हो?