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"गोलमहल / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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भारी बदबू,
 
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धुप से  
 
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कुर्सीजीवी कीट  
 
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खाद !  
 
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00:13, 20 अप्रैल 2009 का अवतरण


गोल महल में
भारी बदबू,
सीलन औ' अवसाद;
धुप से
टूट गया संवाद।
 
कुर्सीजीवी कीट
बोझ से
धरती दबा रहे हैं;
मोटी एक किताब,
उसी के
पन्ने चबा रहे हैं;
 
दरवाज़े हैं बंद
झरोखों तक
मलबे की ढेरी;
 
दिवा रात्रि का आवर्तन है
चमगादड़ की फेरी;
 
इसको दफ़न करें मिटटी में
बन जाने दें -
खाद !