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"सहमते स्वर-4 / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’" के अवतरणों में अंतर

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(कोई अंतर नहीं)

13:19, 24 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

मैं नहीं जाता
किसी के द्वार
बिना मनुहार
अथवा समय की पुकार के

अनमांगा दण्डकारण्य भी
फलता है
लंका का स्वर्ण
सिर्फ़ जलता है-
जलता है!