मैं नहीं जाता
किसी के द्वार
बिना मनुहार
अथवा समय की पुकार के
अनमांगा दण्डकारण्य भी
फलता है
लंका का स्वर्ण
सिर्फ़ जलता है-
जलता है!
मैं नहीं जाता
किसी के द्वार
बिना मनुहार
अथवा समय की पुकार के
अनमांगा दण्डकारण्य भी
फलता है
लंका का स्वर्ण
सिर्फ़ जलता है-
जलता है!