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सीखो आँखें पढ़ना साहिब / गौतम राजरिशी
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कितनी कयनातें ठहरा दे
उस आँचल का ढलना साहिब
{द्विमासिक आधारशिला, जनवरी-फरवरी 2009}
</poem>
Gautam rajrishi
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