|संग्रह= कुरुक्षेत्र / रामधारी सिंह 'दिनकर'
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और तब चुप हो रहे कौन्तेय,<br>
::जानते हैं, युद्ध का परिणाम अन्तिम ध्वंस है!<br>
::सत्य ही तो, कोटि का वध पाँच के सुख के लिए!<br><br>
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