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<poem>
आये हम ग़ालिब-ओ-इक़बाल के नग़्मात के बाद
मुस्‌हफ़ेमुसहफफ़े-इश्को़इश्क़ो-जुनूँ हुस्न की आयात के बाद
ऐ वतन ख़ाके-वतन वो भी तुझे दे देंगे
नारे-नुम्रूद<ref>एक अत्याचारी बादशाह जिसने ख़ुदाई का दावा किया था</ref> यही और यही ग़ुलज़ारे-ख़लील
कोई आतिश नहीं आतिशक़दः आतिशक़दा-ए-ज़ात के बाद
राम-ओ-गौतम की ज़मीं हुर्मते-इन्साँ की अमीं