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अन्त एक ही / चंद्र रेखा ढडवाल
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01:54, 17 जुलाई 2010
<poem>
अंत एक ही
पंख सहलाते
पंख नोंचते
सय्याद
सय्यादों
का मन
/ एक ही
एक ही धुन
एक ही
काम
प्रालब्ध
और फ़ाख़्ताओं का
अंत भी
द्विजेन्द्र द्विज
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