{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=लाल्टू|संग्रह= एक झील थी बर्फ़ की / लाल्टू}}<poem>बूढ़े ने कहा<br />ठंड आ गयी साहब<br />कल दीवाली है<br />और जूठे बर्तन<br />उठाकर चला गया<br /><br />कितनी गंदी है दीवाली<br />गंदी है<br />मीठी सी मुस्कान बूढ़े की.<br />की।<br /poem>