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"मेरी कविता / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

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ऐसी हो मेरी कविता
 
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जो इस बुरे वक्त की
 
जो इस बुरे वक्त की
तकलीफ़ बांट सके
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तकलीफ़ें बांट सके
 
गहराते अंधकार को
 
गहराते अंधकार को
 
जितना हो छांट सके
 
जितना हो छांट सके

14:43, 6 जून 2010 का अवतरण

मेरी कविता

ऐसी हो मेरी कविता
जो इस बुरे वक्त की
तकलीफ़ें बांट सके
गहराते अंधकार को
जितना हो छांट सके

रचनाकाल:2000