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"लोग / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर
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भीगे रुमाल हिलाते लोग, | भीगे रुमाल हिलाते लोग, |
12:13, 11 जून 2010 के समय का अवतरण
भीगे रुमाल हिलाते लोग,
सूखे मन ले जाते लोग ।
होंठों पर षड्यंत्री चुप्पी,
मन की गाँठ दिखाते लोग ।
चंदा जाए झूलाघर तो,
घर झूला ला पाते लोग ।
आपनी अपनी पीर लिए सब,
रोते लोग रुलाते लोग ।
शुद्ध गणित की भाषा मे अब,
गीत गज़ल भी गाते लोग ।