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कायान्तरण / निकलाई ज़बालोत्स्की
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08:46, 10 सितम्बर 2010
यदि दृष्टि प्राप्त हो जाती मेरे विवेक को
कब्रों
क़ब्रों
के बीच मेरे विवेक को दिखाई दे जाता मैं
गहराई में लेटा हुआ,
वह मुझ स्वयं को दिखाता
अनिल जनविजय
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