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रूमाल / रघुवीर सहाय

No change in size, 20:40, 18 दिसम्बर 2011
वह मेरा रूमाल कहाँ है ?
कहाँ रह गया ?
कहीं उसे मैं छोड़ न आया हू हूँ कुर्सी पर ? वह कितना
मैला था
उस से मैम्ने मैंने जूता नाक पसीना और क़लम की निब
पोछी थी ।
</poem>
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