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रूमाल / रघुवीर सहाय
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वह मेरा रूमाल कहाँ है ?
कहाँ रह गया ?
कहीं उसे मैं छोड़ न आया हूँ कुर्सी पर ? वह कितना
मैला था
उस से मैंने जूता नाक पसीना और क़लम की निब
पोंछी थी ।