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<poem>
भर दे जो रसधार दिल के घाव में,
फिर वही घूँघरू घुँघरू बँधे इस पाँव में !
द्रौपदी बेबस खड़ी कहती है ये
है हर तरफ़ क्रिकेट की चर्चा गरम
बेडियां बेडियाँ हॉकी के पड़ गईं पाँव में!
है सफल माझी वही मझधार का
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