भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"डॉ० अम्बेडकर के लिए / नामदेव ढसाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: <poem> आज हमारा जो भी कुछ है सब तेरा ही है यह जीवन और मृत्यु यह शब्द और य…)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<poem>
+
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=नामदेव ढसाल
 +
|संग्रह=
 +
}}
 +
<Poem>
 
आज हमारा जो भी कुछ है
 
आज हमारा जो भी कुछ है
 
सब तेरा ही है
 
सब तेरा ही है

22:56, 9 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण

आज हमारा जो भी कुछ है
सब तेरा ही है
यह जीवन और मृत्यु
यह शब्द और यह जीभ
यह सुख और दुख
यह स्वप्न और यथार्थ
यह भूख और प्यास
समस्त पुण्य तेरे ही हैं

'तेरी उँगली थाम चला हूँ मैं' नामक कविता-संग्रह से।