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ज्वार और जीवन / केदारनाथ अग्रवाल
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11:58, 26 दिसम्बर 2010
मस्त हवा के हिलकारों में हँसने देना
:इससे पहले मुझे न छूना।
आती हैं
ओ
जो
प्रिय बालाएँ आने देना
काली आँखों में मुझको बस जाने देना
पत्तों से चंचल आँचल हिल जाने देना
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