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"सन्नाटे का लान / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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15:38, 11 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

सन्नाटे का लान
दूब की दरी बिछाए
ओस चाटता है, रात में
आसमान से झरी

पवन के पाँव पकड़े
चहारदीवारी में कैद
बाहर हुआती है,
देश की राजनीति
संसदीय लोकतंत्र के पक्ष में
डूब गए सूरज को पुकारती।

रचनाकाल: १३-०७-१९७७, बाँदा